Skip to main content

नकली नामों से मुक्ति नहीं

 55 एक सुशिक्षित सभ्य व्यक्ति मेरे पास आया। वह उच्च अधिकारी भी था तथा किसी अमुक पंथ व संत से नाम भी ले रखा था व प्रचार भी करता था वह मेरे (संत रामपाल दास) से धार्मिक चर्चा करने लगा। उसने बताया कि ‘‘मैंने अमूक संत से नाम ले रखा है, बहुत साधना करता हूँ। उसने कहा मुझे पाँच नामों का मन्त्रा (उपदेश) प्राप्त है जो काल से मुक्त कर देगा।‘‘ मैंने (रामपाल दास ने) पूछा कौन-2  से नाम हैं। वह भक्त बोला यह नाम किसी को नहीं बताने होते। उस समय मेरे पास बहुत से हमारे कबीर साहिब के यथार्थ ज्ञान प्राप्त भक्त जन भी बैठे थे जो पहले नाना पंथों से नाम उपदेशी थे। परंतु सच्चाई का पता लगने पर उस पंथ को त्याग कर इस दास (रामपाल दास) से नाम लेकर अपने भाग्य की सराहना कर रहे थे कि ठीक समय पर काल के जाल से निकल आए। पूरे परमात्मा (पूर्ण ब्रह्म) को पाने का सही मार्ग मिल गया। नहीं तो अपनी गलत साधना वश काल के मुख में चले जाते। उन्हीं भक्तों में से एक ने कहा कि मैं भी पहले उसी पंथ से नाम उपदेशी (नामदानी) था। यही पाँच नाम मैंने भी ले रखे थे परंतु वे पाँचों नाम काल साधना के हैं, सतपुरुष प्राप्ति के नहीं हैं। वे पाँचों नाम मैंने  ख्भक्त जो दूसरे पंथ से आया था अब कबीर साहिब के अनुसार इस दास (रामपाल दास) से नाम ले रखा है कह रहा है उस अमुक संत-पंथ के उपदेशी सभ्य व्यक्ति को,  भी ले रखे थे। वे नाम हैं -  1ण्  ज्योति निंरजन  2ण्  औंकार  3ण्  रंरकार  4ण्  सोहं   5ण्  सतनाम। तब मैंनें उस पुण्यात्मा को समझाया कि आप जरा विचार करो। संतमत सतसंग साहिब कबीर से चला है। साहिब कबीर स्वयं पूर्ण परमात्मा हैं। उन्होंने ही इस काल लोक में आकर अपनी जानकारी आप ही देनी पड़ी। क्योंकि काल ने साहिब कबीर का ज्ञान गुप्त कर रखा है। चारों वेदों, अठारह पुराणों, गीता जी व छः शास्त्रों में केवल ब्रह्म (काल ज्योति निंरजन) की उपासना की जानकारी है। सतपुरुष की उपासना का ज्ञान नहीं है।  इसी पंथ (पाँच नाम देने वाले पंथ) से निकली शाखा जो हरियाणा में एक शहर में सन् 1948  से चली है। वे पहले वाले संत तो यह पाँच नाम देते थे। परंतु दूसरी गद्दी वाले ने तीन अन्य नाम प्रारम्भ कर दिए।  1ण्  सतपुरूष,  2ण्  अकाल मूर्त,  3ण्  शब्द स्वरूपी राम। ये तीनों भी व्यर्थ हैं। एक तुलसी दास जी हाथ रस वाले (जिनको उस तुलसी दास जिसने रामायण का हिन्दी निरूपण किया का अवतार मानते हैं) ने कबीर सागर, कबीर वाणी साखी व बीजक पढ़ा। फिर उसने उसमें से यही पाँच नाम निकाल लिए। वास्तव में इन पाँच नामों में सतनाम की जगह ‘शक्ति‘  शब्द है। परंतु तुलसी दास (हाथरस वाले) ने शक्ति शब्द की जगह सतनाम जोड़ कर पाँच नाम का मन्त्रा बनाकर काल साधना ही समाज में प्रवेश कर दी। अपने द्वारा रची घट रामायण प्रथम भाग पृष्ठ  27  पर स्वयं इन्हीं पाँचों नामों को काल के नाम कहा है तथा सत्यनाम तथा आदिनाम (सारनाम) बिना सत्यलोक प्राप्ति नहीं हो सकती, कहा है। इन्हीं पाँचों नामों को कबीर साहिब ने भी काल साधना के बताए हैं। इन्हीं पाँचों नामों की साधना के आधार से श्री शिवदयाल सिंह सेठ आगरा पन्नी गली वाले ने अपना राधा स्वामी पंथ बिना गुरू बनाए प्रारम्भ किया था। उसके पश्चात् उसके अनुयाईयों के बड़े-2  भक्तजन समूह इकत्रित हो गए जो मुक्त नहीं हो सकते और कबीर साहेब ने कहा है कि इनसे न्यारा नाम सत्यनाम है उसका जाप पूरे अधिकारी गुरु से लेकर पूरा जीवन गुरु मर्यादा में रहते हुए सार नाम की प्राप्ति पूरे गुरु से करनी चाहिए

Comments

Popular posts from this blog

पूर्ण राम यानी सच्चा राम कोनसा है

कबीर, एक राम दशरथ का बेटा एक राम घट घट में बैठा। एक राम का सकल पसारा, एक राम त्रिभुवन से न्यारा।। . तीन राम को सब कोई धयावे, चतुर्थ राम को मर्म न पावे। चौथा छाड़ि जो पंचम धयावे, कहे ...

प्रलय सात प्रकार की होती है

1. आन्शिक प्रलय    2 प्रकार की होती है. 2. महा प्रलय            3 प्रकार की होती है. 3. दिव्य महा प्रलय   3 प्रकार की होती है. 1.पहली आन्शिक प्रलय - ………………………………………          पहली आंशिक प्रलय कलयुग के अंत में 432000 साल बाद होती है.           प्रत्येक कलयुग के अंत  में  ज्योति निरंजन (काल ब्रह्म) द्वारा  की जाती है, कलयुग के आखिरी चरण  में सभी मनुष्य नास्तिक होंते हैं,सभी मनुष्य का कद की  डेढ से दो फ़ुट , 5 वर्ष की लड़की बच्चे पैदा करेगी, मनुष्य की आयु 15 या 20 साल होगी,,सभी मनुष्य कच्चे मांस आहारी , धरती मे साढे तीन फुट तक उपजाऊ तत्व नही होगा, बड और पीपल के पेड़ पर पत्ते नही होंगे खाली ढूँढ होगी,रीछ (भालू) उस समय का सबसे अच्छी सवारी(वाहन) होगी , ओस की तरह बारिश होगी,ओस को चाटकर सभी जीव अपनी प्यास बुझायैंगे, लगभग सभी औरतें चरित्रहीन, धरती में लगातार भूकम्प आने से  प्रथ्वी रेल गाडी की तरह हिलेगी, कोई भी घर नही बनेगा, सभी मनुष्य चूहे की तरह बिल खोदकर रहे...