Skip to main content

SUPREME KNOWLDGE

A true saint gives correct way of worship according to holy script by which devotees can attain salvation leading them to immortal place forever.     - SANT RAMPALJI MAHARAJ

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

पूर्ण राम यानी सच्चा राम कोनसा है

कबीर, एक राम दशरथ का बेटा एक राम घट घट में बैठा। एक राम का सकल पसारा, एक राम त्रिभुवन से न्यारा।। . तीन राम को सब कोई धयावे, चतुर्थ राम को मर्म न पावे। चौथा छाड़ि जो पंचम धयावे, कहे ...

प्रलय सात प्रकार की होती है

1. आन्शिक प्रलय    2 प्रकार की होती है. 2. महा प्रलय            3 प्रकार की होती है. 3. दिव्य महा प्रलय   3 प्रकार की होती है. 1.पहली आन्शिक प्रलय - ………………………………………          पहली आंशिक प्रलय कलयुग के अंत में 432000 साल बाद होती है.           प्रत्येक कलयुग के अंत  में  ज्योति निरंजन (काल ब्रह्म) द्वारा  की जाती है, कलयुग के आखिरी चरण  में सभी मनुष्य नास्तिक होंते हैं,सभी मनुष्य का कद की  डेढ से दो फ़ुट , 5 वर्ष की लड़की बच्चे पैदा करेगी, मनुष्य की आयु 15 या 20 साल होगी,,सभी मनुष्य कच्चे मांस आहारी , धरती मे साढे तीन फुट तक उपजाऊ तत्व नही होगा, बड और पीपल के पेड़ पर पत्ते नही होंगे खाली ढूँढ होगी,रीछ (भालू) उस समय का सबसे अच्छी सवारी(वाहन) होगी , ओस की तरह बारिश होगी,ओस को चाटकर सभी जीव अपनी प्यास बुझायैंगे, लगभग सभी औरतें चरित्रहीन, धरती में लगातार भूकम्प आने से  प्रथ्वी रेल गाडी की तरह हिलेगी, कोई भी घर नही बनेगा, सभी मनुष्य चूहे की तरह बिल खोदकर रहे...

नकली नामों से मुक्ति नहीं

 55 एक सुशिक्षित सभ्य व्यक्ति मेरे पास आया। वह उच्च अधिकारी भी था तथा किसी अमुक पंथ व संत से नाम भी ले रखा था व प्रचार भी करता था वह मेरे (संत रामपाल दास) से धार्मिक चर्चा करने लगा। उसने बताया कि ‘‘मैंने अमूक संत से नाम ले रखा है, बहुत साधना करता हूँ। उसने कहा मुझे पाँच नामों का मन्त्रा (उपदेश) प्राप्त है जो काल से मुक्त कर देगा।‘‘ मैंने (रामपाल दास ने) पूछा कौन-2  से नाम हैं। वह भक्त बोला यह नाम किसी को नहीं बताने होते। उस समय मेरे पास बहुत से हमारे कबीर साहिब के यथार्थ ज्ञान प्राप्त भक्त जन भी बैठे थे जो पहले नाना पंथों से नाम उपदेशी थे। परंतु सच्चाई का पता लगने पर उस पंथ को त्याग कर इस दास (रामपाल दास) से नाम लेकर अपने भाग्य की सराहना कर रहे थे कि ठीक समय पर काल के जाल से निकल आए। पूरे परमात्मा (पूर्ण ब्रह्म) को पाने का सही मार्ग मिल गया। नहीं तो अपनी गलत साधना वश काल के मुख में चले जाते। उन्हीं भक्तों में से एक ने कहा कि मैं भी पहले उसी पंथ से नाम उपदेशी (नामदानी) था। यही पाँच नाम मैंने भी ले रखे थे परंतु वे पाँचों नाम काल साधना के हैं, सतपुरुष प्राप्ति के नहीं हैं। वे पा...