जिस देहि को आप सारी उम्र सजाने सवारने में लगाते हो अंत में ये देहि राख बन जाएगी, और आपके हाथ कुछ नहीं लगेगा,
कबीर साहेब कहते हैं"
ये तन काचा कुंभ था
तू लिए फीरे था साथ,
ठुबका लाग्या फुट गया
तेरे कुछ न आया हाथ"..
इस कच्चे घड़े जैसे शरीर पर अभिमान न करके इससे हमे भगति करके मोक्ष प्राप्त करना चाहिए..
जिसे आप गहनों और मोतियों से सजाने सवारने में लगेरहते हो...
अंत में पता चला कि गहने घर के लूट ले गए और शरीर राख बनते ही कुछ हवा ले गई और कुछ गंगा का नीर ले गया..
जो काम इस देहि से लेना था हमने वो तो कभी लिया नहीं, और इसे गहने मोतियों से सजाते रहे..
"गहने मोति तन की शोभा ये तन तो काचो भाँडो,बिना भजन फिर कुतिया बनोगी राम भजो न रांडो"
ये देह परमात्मा ने भगती और मोक्ष के लिए दी है ।अन्यथा हमसे अच्छा जीवनतो जानवर भी जी रहे हैं, पशु पक्षी भी जी रहे हैं.फिर मालिक को मानुष शरीर देने की क्या जरूरत आन पड़ी..
.कबीर साहेब-
पतिव्रता मैली भली, काली कुचल करूप..,
पतिव्रता के मुख पर बरहों कोटि स्वरूप
"पतिव्रता जमी पर जियूं,
जियूं धर है पाँव,
समरथ झाड़ू दैत हैं,
न कांटा लग जाव
"परमात्मा कहते हैं भगती करने वाली नारी चाहे गोरी हो चाहे काली, सूंदर हो अथवा नहीं..
परमात्मा को भगती प्यारी है फिर चाहे वो कोई भी करता हो करूप स्त्री अगर भगती करती है तो वो सुंदर स्त्री से कई गुना सूंदर है परमात्मा की नजरों में,क्या फायदा अगर ये देह सुन्दर है पर इससे भगती नहीं बनी तो अगला जनम कुतिया का होगा, फिर कहाँ जाएगी वो सुंदरता..गलियोंमें घूमेगी एक टूक की खातिर...
"बीबी परदे रहे थी,
ड्योडी लगे थी बाहर..,अब गात उघाड़े फिरती है वो बन कुतिया बाजार"
"वो परदे की सुंदरी,
सुनो संदेसा मोर,
अब गात उघाड़े फिरती है
वो करे सरायों शोर"
"नक बेसर नक पर बनी,
पहने थी हार हमेल,
सुंदरी से कुतिया बनी
सुण साहेब के खेल"
इस लिए सुन्दर देह का अभिमान न करके और इस को सजाने सवारने में समय बर्बाद ना करके, इस देहि से अपनी भगति रुपी कमाई करके सतलोक, सचखण्ड उस अमर धाम चलो जहाँ से फिर मुड़के इस गंदे लोक में न आना पड़े..
1. आन्शिक प्रलय 2 प्रकार की होती है. 2. महा प्रलय 3 प्रकार की होती है. 3. दिव्य महा प्रलय 3 प्रकार की होती है. 1.पहली आन्शिक प्रलय - ……………………………………… पहली आंशिक प्रलय कलयुग के अंत में 432000 साल बाद होती है. प्रत्येक कलयुग के अंत में ज्योति निरंजन (काल ब्रह्म) द्वारा की जाती है, कलयुग के आखिरी चरण में सभी मनुष्य नास्तिक होंते हैं,सभी मनुष्य का कद की डेढ से दो फ़ुट , 5 वर्ष की लड़की बच्चे पैदा करेगी, मनुष्य की आयु 15 या 20 साल होगी,,सभी मनुष्य कच्चे मांस आहारी , धरती मे साढे तीन फुट तक उपजाऊ तत्व नही होगा, बड और पीपल के पेड़ पर पत्ते नही होंगे खाली ढूँढ होगी,रीछ (भालू) उस समय का सबसे अच्छी सवारी(वाहन) होगी , ओस की तरह बारिश होगी,ओस को चाटकर सभी जीव अपनी प्यास बुझायैंगे, लगभग सभी औरतें चरित्रहीन, धरती में लगातार भूकम्प आने से प्रथ्वी रेल गाडी की तरह हिलेगी, कोई भी घर नही बनेगा, सभी मनुष्य चूहे की तरह बिल खोदकर रहे...
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