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भविष्यवाणी ‘‘कुछ संकेत भविष्यवाणी से’’

  अंजली  गाड़गिल  नामक  श्रीमति  ने  आध्यात्मिक  अभ्यास  करके  अपनी  दिव्य दृष्टि  विकसित  की।  फिर  उस  दिव्य  दृष्टि  से  सूक्ष्म  जगत  को  देखा  तथा  ब्रह्माण्ड  में  चल रही  गतिविधियों  का  वर्णन  एक  पुस्तक  में  लिखा।  भविष्य  में  होने  वाली  घटनाओं  का  दावे के  साथ  वर्णन  किया।  पहले  घट  चुकी  घटनाओं  का  विवरण  तथा  भविष्य  और  वर्तमान  में होने वाली तथा  आगे  हो रही  घटनाओं  का भी  वर्णन किया  है।  उसकी  सत्यता  को जाँचने के  लिए  एक  परम  पावन  डॉक्टर  अठावले  ने  अनुसंधान  किया  और  भविष्यवाणी  को  सटीक बताया। इन्होनें ‘‘आध्यात्मिक विज्ञान रिसर्च  फाउन्डेषन’’  संस्था  भी  बना  रखी  है। श्रीमति  अंजली  गाड़गिल  ने  दिव्य  दृष्टि  से  देखा  और  बताया  कि  जिस  समय ब्रह्माण्ड  की  उत्पत्ति  हुई,  उसी  समय  से  अच्छी  और  बुरी  सूक्ष्म  शक्तियों  का  अस्तित्व  है जो  चर्मदृष्टि  से  दिखाई  नहीं  देती।  बुरी  शक्तियाँ  हैं  :  भूत,  भैरव,  बैताल,  योगिन,  52  बीर जो काल  ब्रह्म के  उपद्रवी  हैं।  अच्छी  शक्तियाँ  हैं :  देवतागण,  पित्तर  आदि-आदि। ये  दोनों  शक्तियाँ  पूरी  पृथ्वी  के  ऊपर  अपना  प्रभाव  जमाए  है।  बुरी  ताकतें  उपद्रव करने  के  लिए  मानव  को  प्रेरित  करती  हैं।  ये  एक  नकारात्मक  (बुरी)  शक्ति  है,  वह  राक्षसी राज्य  की  स्थापना  करने  का  प्रयास  करती  है।  जिस  उद्देष्य  से  मानव  को  बुराई  में धकेलती  है।  नषा  करने,  माँस  खाने,  वैष्या  गमन  करने,  बलात्कार  करने,  चोरी  करने,  डाके मारने,  दूसरे  राजा  का  राज्य  छीनने  के  लिए  युद्ध  करने,  मान  बड़ाई  के  लिए  अहम  की लड़ाई  करने के लिए  प्रेरित  करती  है। दूसरी  ओर  अच्छी  ताकतें  (सकारात्मक  ताकतें)  इसके  विपरीत  शांति  स्थापित  करने, बुराईयों  से  बचाने के लिए मानव को प्रभावित  करती  है। विषेष  :-  लेखक  यहाँ  पर  स्पष्ट  करना  चाहता  है  कि  बहन  अंजली  गाड़गिल  ने अपनी  पुस्तक  में  केवल  अपने  अनुभव  के  सत्य  संकेत  तो  दिए  हैं,  परंतु  इस  रहस्य  की गहराई  तक  नहीं  पहुँच  पाई।  उसने  जो  देखा,  वही  लिख  दिया।  उस  बहन  के  सांकेतिक उद्गार  को  विस्तार  के  साथ  तथा  रहस्यों  का  भेद  गहराई  तक  खोलकर  यह  पुस्तक  बना रहा  है। भविष्यवाणी  करने  वाला  केवल  वही  वर्णन  करता  है  जो  परमेष्वर  ने  पूर्व  में  होने वाले  घटनाक्रम  की  फिल्म  अर्थात्  भविष्य  की  घटनाओं  की  जानकारी  सूक्ष्म  लिपि  में  लिखी होती  है  और  चलचित्र  की  तरह  भी  विद्यमान  है।  जैसे  ऊपर  बताया  है  कि  दो  प्रकार  की
 शक्तियाँ  (अच्छी-बुरी)  पूरी  पृथ्वी  के  मानव  को  प्रभावित  करती  है।  उसी  प्रकार  से  बुरी शक्तियों  से  प्रभावित  व्यक्ति  बुराई  तथा  अच्छी  शक्तियों  से  प्रभावित  व्यक्ति  अच्छाई  करते हैं।  दोनों  शक्तियों  का  परस्पर  संघर्ष  चलता  रहता  है।  ऊपर  के  लोकों  से  भी  अच्छी  और बुरी  शक्तियाँ  पृथ्वी  पर  आकर  अपने  पक्ष  वालों  की  सहायता  करते  हैं।  दोनों  में  ही आध्यात्मिक ऊर्जा  (शक्ति)  होती  है। वर्तमान में  उन्हीं  के आधार  से कहीं शांति  है  तो कहीं मारकाट-हत्याएँ  की  जा  रही  हैं।  वर्तमान  समय  में  अच्छाई  वाली  ताकतें  70ः    हैं  तथा बुराई  वाली  ताकतें  30ः  हैं।  दोनों  षक्तियों  की  लड़ाई  ब्रह्माण्ड  में  तो  चलती  रहती  हैं, पृथ्वी  पर  भी  सक्रिय  रहती  है।  प्राकृतिक  आपदाऐं,  आतंकवाद,  राजनीतिक  उथल-पुथल नकारात्मक  अर्थात्  बुरी  ऊर्जा  की    देन  है।  पूरी  दुनिया  नकारात्मक  तथा  सकारात्मक षक्तियों  की कठपुतली  की  तरह  है। जो  बुराई करते हैं, भूत,  भैरव,  बेतालों  आदि  के  हाथां कार्य  करते  है  और  अच्छे  व्यक्ति  परमेष्वर  की  इच्छा  के  अनुसार  काम  करते  हैं।  जो  अच्छे व्यक्ति  हैं,   उनकी  आध्यात्मिक  ऊर्जा  कम  होने  के  कारण  वे  भी  नकारात्मक  षक्तियों  से प्रेरित  होकर  राजा  तथा  अज्ञानी  का  ही  सहयोग  देकर  अच्छाई  में  बाधक  बन  रहे  हैं। उदाहरण  के  लिए  जो  साधक  षास्त्रविधि  अनुसार  साधना  नहीं  करते,  वे  आध्यात्मिक  ऊर्जा प्राप्त  नहीं  कर  रहे  हैं,  वे  केवल  पूर्व  जन्म  की  आध्यात्मि
क  षक्ति  को  खर्च  कर  रहे  हैं। जिस  कारण  से  वे  आध्यात्मिक  षक्तिहीन  होकर  बुराई  का  सहयोग  देने  के  लिए  सूक्ष्म  बुरी षक्तियों  द्वारा  विवष  किये जाते हैं और  वे जबरदस्ती  बुराई  में  लगाए जाते हैे। वर्तमान  में  अच्छाई  और बुराई की लड़ाई बहन  श्रीमति  अंजली  गाड़गिल  ने  संकेत  करके  बताया  है  कि  यह  अच्छाई तथा  बुराई  की लड़ाई  का  षंखनाद वर्तमान  में  सन् 1973  से  होगा।  आसमान के  ऊपर के  लोक  से  आकर  एक  अच्छाई  का  कण  (आत्मा)  सत्य  साधना  करने  की  विधि अनुसार  बताना  प्रारम्भ  करेगा।  जिससे  अच्छी  आत्माऐं  आध्यात्मिक  षक्ति  की  वृद्धि करेगी  और  अच्छाई  की  स्थापना  करने  का  प्रयास  करेंगी।  उनकी  साधना  में  बुरी ताकतों  से  प्ररित  होकर  बुरे  व्यक्ति  बाधाऐं  उत्पन्न  करेंगे,  षारीरिक  लड़ाई  तक  भी करेंगे।  सन्  1993  से  षुरू  होकर  सन्  1999  में  तो  अच्छे  व्यक्तियों  की  साधना  और प्रचार  परोक्ष  रूप से चलेगा। विष्लेषण  :-  सन्  1993  में  लेखक  को  गुरूदेव  द्वारा  सत्संग  तथा  पाठ  करने का  आदेष  दिया।  प्रचार  व  पाठ  गाँव-गाँव  व  घर-घर  में  जाकर  किया।  फिर  संगत (अनुयाईयों  का  समूह)  अधिक  हो  जाने  के  कारण  20  अप्रेल  1999  में  करौंथा  गाँव  में संगत  द्वारा  आश्रम  के  लिए  जमीन  ली  और  वह  बंदी  छोड़  भक्ति-मुक्ति  ट्रस्ट  के  नाम रजिस्टर्ड़  करवाई।  वहाँ  बैठकर  प्रचार  किया।  सन्  2003  में  आस्था  चैनल  पर  सत्य ज्ञान  का  प्रचार  षुरू  किया,  नाम  था,  ‘‘परिभाषा  प्रभु  की’’  जिसे  नकारात्मक  षक्ति  से
 प्रभावित  होकर  अच्छी  आत्माओं  (अन्य  संतों  तथा  उनके  अनुयाईयों)    ने  विरोध  करके कार्यक्रम  बंद  करा  दिया।  सन्  2004  में  बडे़-बडे़  नगरों  में  विषाल  सत्संग  करके आत्मज्ञान  का  प्रचार  किया।  उसको  भी  अच्छी  आत्माओं  ने  बुरी  षक्तियों  से  प्रेरित होकर  हरियाणा  प्रान्त  के  षहर  यमुनानगर  में  झगड़ा  करके  वो  भी  बंद  करा  दिया। लेखक  तथा  अनुयाई  जान  बचाकर  भागे।  उसके  पष्चात्  सतलोक  आश्रम  करौंथा  में बैठकर  समाचार  पत्रों  में  लेख  लिखकर  प्रत्येक  पूर्णमासी  को  आश्रम  में  सत्संग  करके प्रचार  षुरू  किया,  परंतु  बुरी  ताकतों  ने  आर्य  समाज  के  आचार्यों  को  प्रेरित  करके  12 जुलाई  2006  को  सतलोक  आश्रम  करौंथा  में  चल  रहे  पूर्णमासी  के  सत्संग  में  आए भक्तों  तथा  लेखक  को  मारने  के  लिए  लगभग  15  हजार  व्यक्तियों  से  आक्रमण  करवा दिया।  तत्कालीन  मुख्यमंत्री  भी  उसी  समुदाय  से  संबंध  रखता  था।  इस  प्रकार  राजा तथा  अंधकार में  फँसे  व्यक्तियों  द्वारा बुरी  ताकतों  ने अच्छे  कार्य  में  बाधा  डाली। 30  अप्रैल  2008  तक  लेखक  (रामपाल  दास)  तथा  कुछ  मेरे  साथ  झूठे मुकदमें  में  फँसाए  अनुयाई  जेल  से  जमानत  पर  बाहर  आए।  सन्  2009  में  अप्रैल  में बरवाला  में  नए  आश्रम के  लिए  जमीन  खरीदी  और  2010  में  सत्संग  करना  षुरू  किया तथा  सन्  2012  तक  सर्व  संतो  के  अज्ञान  को  ‘‘आध्यात्मिक  ज्ञान  चर्चा’’  नामक कार्यक्रम  साधना  टी.वी.  पर  चलाकर  उजागर  किया।  जिस  कारण  से  सन्  2013  तथा 18-11-2014  तक  हमारे  साथ  जुड़ने  के  लिए  प्रतिमाह  20  हजार  से  25  हजार श्रद्धालु  आने  लगे।  दिनाँक  18-11-2014  में  कर्मचक्र  चला।  भ्रष्ट  जजों  ने  मिलकर एक  साजिष  के  तहत  न्यायालय  की  अवमानना  का  झूठा  मुकदमा  नं.  12/2014 दिनाँक 22-07-2014  को बनाया  और लेखक  (रामपाल  दास)  को गिरफ्तार करने का आदेष  दिनाँक  05-11-2014  को  हाई  कोर्ट  चण्डीगढ़  के  भ्रष्ट  जजों  ने  कर  दिया। अस्वस्थ  होने के कारण  लेखक  न्यायालय  में उपस्थित  नहीं हो सका। जिस  कारण  से दिनाँक 18-11-2014  को सतलोक  आश्रम बरवाला  पर पुलिस  तथा  सेना ने आक्रमण कर  दिया  और  आश्रम  में  तथा  बाहर  मुख्य  गेट  पर  बैठकर  बीमार  गुरू  को  स्वस्थ होने  तक  कोर्ट  में  न  जाने  देने  के  लिए  विरोध  कर  रहे  श्रद्धालुओं  को  मुख्य  द्वार  से हटाने  के  लिये  उन  पर  सर्दी  में  पानी  की  बौंछार  करके  आेँसू  गैस  के  गोले  सीमा  से अधिक  छोड़कर  तथा  लाठियाँ  मारकर  रास्ते  से  हटाने  के  लिए  अत्याचार  किया,  जिस घटना  में  6 अनुयाई  मारे  गए। प्रषासन  ने  संत  रामपाल  दास  जी  के  अस्वस्थ  होने  की  जाँच  सरकारी डॉक्टरों  के  पैनल  द्वारा  भी  करा  ली  और  जाँच  में  वास्तव  में  अस्वस्थ  पाए  गए।  वह रिपार्ट  भी  माननीय  पंजाब  तथा  हरियाणा  हाई  कोर्ट  में  पेष  की।  संत  रामपाल  जी  को दिनाँक  19-14-2014  तक  बैड  रैस्ट  बताया  था  और  टी.वी.  देखना,  समाचार  पत्र पढ़ना  भी  मना  कर  दिया  था।  फिर  दिनाँक  19-12-2014  को  स्वयं  पुलिस  के  हवाले हो  गए।  फिर  भी  देषद्रोही  ाक  मुकदमा  लेखकर  पर  बनाया  और  मृतकों  का  भी  दोष
लेखक  को  बनाया।  302  के  दो  मुकदमें  बना  दिये  और  जेल  में  डाल  दिया।  यह  सब बुरी  शक्तियों  के  प्रभाव  का परिणाम है। अब  बहन  श्रीमति  अंजली  गाड़गिल  द्वारा  दिए  भविष्य  में  होने  वाली  घटनाओं के  संकेतों  का  वर्णन  करता  हूँ।  बहन  ने  लिखा  है  कि  यह  अच्छाई  और  बुराई  की लड़ाई  ऐसे चलेगी। घटनाक्रमों  का समय  भी  लिखा  है। सन्  1993  मे  :-  अधर्म  की  गिरावट  का  बीज  बोना  शुरू  कर  दिया।  भावार्थ है  कि  शास्त्रानुकूल  साधना  कराकर  पहले  तो  साधक  को  भौतिक  सुख  मिलता  है। फिर  उसे  ज्ञान  होता  है  कि  भौतिक  धन  की  आवष्यकता  है,  फिर  वह  भौतिकवाद  में कमी  लाता  है  तथा  आध्यात्म  में  वृद्धि  करता  है,  परंतु  इसष्शुभ  कार्य  में  बाधा  उच्च स्तर  की  बुरी  शक्ति  यानि  काल  ब्रह्म  द्वारा  सहायता  करके  कराई  जाती  है।  समय  के अनुसार  समाज  में  बुराई  घर  कर  लेती  हैं  और  सड़ांध  में  अर्थात्  बुराई  में  वृद्धि  होती है।  मानव  जाति  में  आध्यात्मिकता  फिर  से  जगाने  का  कार्य  ओर  अच्छे  युग  की स्थापना  के  लिये  भी  प्रयत्न  इस  लड़ाई  में  किया  जाता  रहेगा।  सन्  1993  में  ही अच्छाई  और  बुराई  की  लड़ाई  में  आगे  के  लिए  एक  धार्मिक  गुरू  के  द्वारा  प्रचार  श्ुरू होगा  जिसकी  आध्यात्मिक  शक्ति  96ः  विकसित  हो  चुकी  है।  वह  पृथ्वी  पर  प्रकट अच्छी  आत्माओं  का  नेतृत्व  कर  रहा  है।  यह  सब  परमेष्वर  की  इच्छा  से  हो  रहा  है। सन्  2003  में  आध्यात्मिकता  का  अधिक  विकास  हुआ।  सन्  2004  में  ऊपर  के  लोक से  सकारात्मक  ऊर्जा  के  कुछ  प्राणी  आकर  शामिल  हो  गए  और  आध्यात्म  की  वृद्धि हुई।  वे  पीले  कण  थे,  जो  ऊपर  (सत्लोक)  से  कण  (आत्मा)  आए  हैं,  वे  स्वर्ग  वाले बलों  से  अधिक  बलवान  हे।  सन्  2008    में  नकारात्मक  शक्ति  अपर्याप्त  सिद्ध  हुई क्योंकि  सकारात्मक  शक्ति  वाले  भक्तों  की  विजय  हुई।  (अप्रैल  2008  में  जमानत मिली  थी)। सन्  2009  से  2013  तक  सकारात्मक  ऊर्जा  के  सहयोग  से  आध्यात्मिक  वृद्धि चर्म  सीमा  पर  पहुँची।  आध्यात्मिक  वृद्धि  जारी  रही,  परन्तु  सन्  2009  में  ब्रह्माण्ड  के उच्च  क्षेत्र  से  आध्यात्मिक  विकसित प्राणी  लड़ाई  में शामिल  हो  गए। सन्  2013  में  1/3  (एक  तिहाई)  भाग  विकसित  किया  जा  रहा  था।  इस दौरान  इस  लड़ाई  में  भागीदारी  के  लिए  अन्य  आध्यात्मिक  विकसित  प्राणी  शामिल  हो गए।  इस  दिव्य  सहायता  से  दिनांदिन  अधिक  सूक्ष्म  और  शक्तिषाली  हो  रही  थी।
मतलब  है  कि  सन्  2013  में  शानदार  आध्यात्मिक  प्रगति  दैवी  कणांं  यानी  दैवी आत्माओं  के  सहयोग  से  हुई  थी। सन्  2014  से  2018  तक  :-  सन्  2014  में  नकारात्मक  शक्तियाँ  उग्र  रूप  से लड़ेंगी  और  सकारात्मक  शक्ति  से  प्रेरित  साधक  अपनी  आध्यात्मिक  शक्ति  की  वृद्धि करने  में  लगे  होंगे  और  उनकी  आध्यात्मिक  क्षमता  नकारात्मक  शक्ति  का  सामना करने  में  सक्षम  नहीं  होगी।  यह  सब  कार्य  परमेष्वर  के  द्वारा  किया  जाएगा। नकारात्मक  शक्ति  से  प्रेरितों  को  साथ  लड़ने  के  लिए  फिर  से  आध्यात्मिक  ऊर्जा  प्राप्त करेंगे।  सन्  2014  में  अगले  उच्च  क्षेत्र  यानि  सत्लोक  से  2  और  प्राणी  लड़ाई  में शामिल  हो  जायेंगे। उनकी  भागीदारी  2018 तक  रहेगी। सन्  2017  से  2019  तक  आध्यात्मिक  सफलता  48  से  शुरू  होकर  70ः  तक हो  जायेगी।  सन्  2017 मे 10 तथा  सन्  2019 में 25  नए प्राणी  शामिल  होंगे। सन्  2019  के  पष्चात्  विनाषकारी  काम  करने  वाली  नकारात्मक  बुरी  ताकतों के खिलाफ  आध्यात्मिकता  को फिर से  जगाने अर्थात्  बढ़ाने  के लिए  तथा  सत्युग की स्थापना  के  लिए  तीव्रता  आयेगी।  सन्  2021  में  मानव  जाति  में  फिर  से  आध्यात्मिक जागृति  आएगी  और  नए  दैवी  राज्य  यानि  राम-राज्य  की  सथापना  का  कार्य  शुरू  हो जाएगा। सन्  2023  में  सत्लोक  से  14  मुख्य  कणों  यानि  आत्माओं  का  आगमन  होगा जो  सूक्ष्म  क्षेत्रों  की  सूक्ष्म  तथा  शुद्धतम  आत्माऐं  होंगी  जो  सकारात्मक  काम  में  आदर करेंगी  और  दैवी  राज्य  (सत्युग)  की  स्थापना  में  सहयोग  करेंगे  तथा  सन्  2024  के बाद  ऊपर  की  भागीदारी  रोक  दी  जाएगी  और  पृथ्वी  पर  भक्तियुक्त  प्राणियों  की  वृद्धि हो  जाएगी और  सकारात्मक  श्क्ति  से आध्यात्मिक  गतिविधि  निर्बाध  चलेगी। उसी  भविष्यवाणी  करने  वाली  बहन  श्रीमति  अंजली  गाड़गिल  ने  अन्य  स्थान पर इस  प्रकार  लिखा  है  :- पृष्ठ 5  पर :- 6‐  =  तीसरे  विष्वयुद्ध  के मुख्य चरणों की लड़ाई का वर्णन :- तीसरे  विष्वयुद्ध  में  मुख्य  चरणों  में  सूक्ष्म लड़ाई सन् 1999  से  2012
इस  समय  के  दौरान  नकारात्मक  ऊर्जा  से  लड़ाई  की  सकल  2013  से  2015 में आध्यात्मिक  अभ्यास  करने  वालों  को  रोकने  के  लिए  बाधा  पैदा  करना  है।  जिस कारण  से  राष्ट्रीय  स्तर  पर  अच्छी  व्यवस्था  के  विरूद्ध  झगड़ा  किया  जाएगा। हालांकि  इसके  पीछे  सूक्ष्म  दुनिया  से  उच्च  स्तर  की  नकारात्मक  ऊर्जा  का  हाथ है। प्राकृतिक  आपदा होंगी। भौतिक  दायरे  में  लड़ाई  :-  2016-2018  में  बुराई  करने  वालों  का असामाजिक  तत्वों  के  साथ  युद्ध  आरम्भ  होगा। बुराईकर्ता  असामाजिक  तत्वों  का अंत और दैवी  साम्राज्य  की स्थापना  :-  सन् 2019  से  2022  में  आतंकवाद  समाप्त  हो  जाएगा  तथा  एक  संत  के  निर्देष  में आध्यात्मिक  सरकार  बनेगी।  उसी  पुस्तक  में  लिखा  है  कि  सन्  2006  में  पूजा  के स्थानों  का विनाष  हो  जाएगा। सन् 2011  से  सन्  2014  में  :-  भूत  (बुरी  ताकतों)  से  प्रेरित  होकर आध्यात्मिक संगठनों को नष्ट करेंगे  तथा  धार्मिक  स्थल  प्राकतिक आपदा  से। सन्  2018  में  अमेरीका,  चीन  तथा  जापान  का  युद्ध  होगा  जिसमें  अभूवतपूर्व जीवन हानि होगी  अर्थात्  बहुत  जनता  मारी  जाएगी।      सन्  2019  में  उनके  बचाव  के  लिए  संतों  तथा  नेताओं  को  योगदार  परन्तु व्यर्थ  साबित होगा  जो मानवता  के  लिए  हानिकारक होगा।         सन्  2020  में  वातावरण  में  विनाषकारी  प्रक्रिया  और  दिव्य  चेतना  के  कणों  की हानि  होगी। सन्  2021  में  मानव  जाति  को  आध्यात्मिक  मार्ग  पर  लगाने  के  लिए  जगाने का  प्रयास तथा आध्यात्मिक  युग की  स्थापना  की  जाएगी।
सन्  2013  में  राम  राज्य  की  स्थापना  एवं  कलयुग  में  सत्युग  की  शुरूआत होगी। 6.1  का  विवरण  :-  उसी  पुस्तक  में  लिखा  है  कि  तीसरा  विष्वयुद्ध  सन्  2015 से  प्रारम्भ  होगा  जो  सन्  2023  तक  चलेगा।  इसमें  1/3  जनसंख्या  नष्ट  जो जाएगी  तथा  1/3  जनसंख्या  पीडि़त  होगी  जिनके  कारोबार  नष्ट  जो  जाएेंगे,  कुछ लोगों  को परिजनों  के  मरने से कष्टों का  सामना  करना  पड़ेगा। तीसरे  विष्सयुद्ध  को  कराने  के  लिए  बुरी  आत्माऐं  7वें  तथा  चौथें  नरक  से आऐंगी।   तीसरे विष्वयुद्ध  का  समय  :-  सन्  2015 से शुरू होगा। सन्  2016  से  2018  तक  बुरी  ताकतों  का  उत्थान  होगा।  सन्  2019  से               2021  तक अच्छे-बुरे व्यक्तियों  में  समान  ताकत होंगी।  होगी। विचार से) सन्  2022-2023  में  अच्छी  ताकतों  के  तहत  धर्म  के  लोगों  की  जीत          सन्  2023  में  ही  आगे  राम  राज्य  की  स्थापना  की  जाएगी।  (डॉ.  अठावले  के तीसरे  विष्वयुद्ध  में  भारत  की  भूमिका  :-  6.2  =  बुरी  ताकतें  भारत  को  युद्ध करने  के  लिए  भड़काऐंगी  और  पड़ौसी  राज्यों  से  युद्ध  होगा  जिसमें  भारत  की  50ः आबादी नष्ट  हो  जाएगी। ‘‘इस  विनाष  से बचा  जा  सकता  है।’’ यदि  व्यक्ति  धार्मिकता  तथा  ईमानदारी को बढ़ावा  देकर तबाही से बचा  सकते हैं।
एक  संत  की  विचारधारा  उभरेंगी।  मानव  समाज  एक  हजार  वर्ष  पीछे जाएगा।  तब  सत्युग  जैसा  वातावरण  होगा।  इस  युग  में  देवताओं  का  साम्राज्य  होगा। यह  सत्युग  के  समान  होगा।  यह  परमेष्वर  द्वारा  मानव  जाति  के  लिए  आध्यात्मिक नवीनीकरण  करने  के  लिए  होगा।  लोगों  के  जीने  का  उद्देष्य  भगवान  की  भक्ति  ही रह  जाएगा।  उस  दौरान  धन  वद्धि  को  विकास  नहीं  माना  जाएगा।  धन  के  विषय  में मानव की  विचारधारा  बदल जाएगी  और मोक्ष  उद्देष्य  शेष  रह  जाएगा। एक  संत  के  नेतृत्व  में  सरकार  बनेगी  और  सर्व  राजकाज  धर्म  के  तरीके यानि  धार्मिकता  को  लेकर  किया  जाएगा।  चुनाव  कराने  की  आवष्यकता  नहीं  रहेगी। सर्व नेताओं  का  कार्य  पारदर्षी  होगा। साम्यवाद,  तानाषाही  का  स्थान  नहीं  होगा।  सभी  देषों  के  मध्य  एकता  हो जाएगी।  दुनिया  में  आपसी  भाईचारा  कायम  होगा।  सर्व  मानवों  को  मानवता  का  पाठ पढ़ाया  जाएगा।  षिक्षा  में  आध्यात्मिक  विज्ञान  विषय  अहम  माना  जाएगा।  प्रत्येक समस्या  का  समाधान  आध्यात्मिकता  से  किया  जाएगा।  प्रत्येक  व्यक्ति  को  अहसास होगा  कि  पार्टियाँ  करना,  टेलीविजन  देखना  आदि  बकवास  है।  जो  व्यक्ति  भक्ति  नहीं करेंगे  और  अन्य  विकार  करेंगे  तो  उनको  मूर्ख  और  पृथ्वी  के  ऊपर  व्यर्थ  बोझ  माना जाएगा। न्यायप्रणाली  और  न्यायिक  प्रक्रिया  में  नाटकीय  रूप  से  परिवर्तन  हो  जाएगा। न्यायाधीषों  में  आध्यात्मिकता  का  विकास  किया  जाएगा  और  वकीलों  की  आवष्यकता नहीं  रहेगी।  न्यायाधीषों  की  संख्या  अधिक  की  जाएगी।  आध्यात्मिक  न्यायाधीष  तुरन्त सत्य  तथा  झूठ  का निर्णय  करने  में  सक्षम होगा।   सहज  ज्ञान युक्त  के कारण  निर्णय सही  होगा।  वर्तमान  के  वकालत  केवल  निर्वाह  तथा  मान  बढ़ाने  के  उद्देष्य  के  किया जाता  रहा  है,  परन्तु  सत्युग  वाले  राम-राज्य  में  परमार्थ  ही  रह  जाएगा।  हम आध्यात्मिकता  से  विष्व  के तीसरे विष्वयुद्ध  को कम  कर सकते हैं। विषेष  :-  सन्  2016  से  सन्  2018  के  बीच  धार्मिक  व्यक्तियों  की  जीत होगी।  उसके  पीछे  अच्छी  ऊर्जा  का  हाथ  होगा।  सन्  2019  से  2021  तक  समान चलेगी। सन्  2022-2023  में  धर्म  के  लोगों  की  जीत  और  2023  में  ही  राम-राज्य की  स्थापना  होगी
। सत  साहेब

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कबीर, एक राम दशरथ का बेटा एक राम घट घट में बैठा। एक राम का सकल पसारा, एक राम त्रिभुवन से न्यारा।। . तीन राम को सब कोई धयावे, चतुर्थ राम को मर्म न पावे। चौथा छाड़ि जो पंचम धयावे, कहे ...

प्रलय सात प्रकार की होती है

1. आन्शिक प्रलय    2 प्रकार की होती है. 2. महा प्रलय            3 प्रकार की होती है. 3. दिव्य महा प्रलय   3 प्रकार की होती है. 1.पहली आन्शिक प्रलय - ………………………………………          पहली आंशिक प्रलय कलयुग के अंत में 432000 साल बाद होती है.           प्रत्येक कलयुग के अंत  में  ज्योति निरंजन (काल ब्रह्म) द्वारा  की जाती है, कलयुग के आखिरी चरण  में सभी मनुष्य नास्तिक होंते हैं,सभी मनुष्य का कद की  डेढ से दो फ़ुट , 5 वर्ष की लड़की बच्चे पैदा करेगी, मनुष्य की आयु 15 या 20 साल होगी,,सभी मनुष्य कच्चे मांस आहारी , धरती मे साढे तीन फुट तक उपजाऊ तत्व नही होगा, बड और पीपल के पेड़ पर पत्ते नही होंगे खाली ढूँढ होगी,रीछ (भालू) उस समय का सबसे अच्छी सवारी(वाहन) होगी , ओस की तरह बारिश होगी,ओस को चाटकर सभी जीव अपनी प्यास बुझायैंगे, लगभग सभी औरतें चरित्रहीन, धरती में लगातार भूकम्प आने से  प्रथ्वी रेल गाडी की तरह हिलेगी, कोई भी घर नही बनेगा, सभी मनुष्य चूहे की तरह बिल खोदकर रहे...

नकली नामों से मुक्ति नहीं

 55 एक सुशिक्षित सभ्य व्यक्ति मेरे पास आया। वह उच्च अधिकारी भी था तथा किसी अमुक पंथ व संत से नाम भी ले रखा था व प्रचार भी करता था वह मेरे (संत रामपाल दास) से धार्मिक चर्चा करने लगा। उसने बताया कि ‘‘मैंने अमूक संत से नाम ले रखा है, बहुत साधना करता हूँ। उसने कहा मुझे पाँच नामों का मन्त्रा (उपदेश) प्राप्त है जो काल से मुक्त कर देगा।‘‘ मैंने (रामपाल दास ने) पूछा कौन-2  से नाम हैं। वह भक्त बोला यह नाम किसी को नहीं बताने होते। उस समय मेरे पास बहुत से हमारे कबीर साहिब के यथार्थ ज्ञान प्राप्त भक्त जन भी बैठे थे जो पहले नाना पंथों से नाम उपदेशी थे। परंतु सच्चाई का पता लगने पर उस पंथ को त्याग कर इस दास (रामपाल दास) से नाम लेकर अपने भाग्य की सराहना कर रहे थे कि ठीक समय पर काल के जाल से निकल आए। पूरे परमात्मा (पूर्ण ब्रह्म) को पाने का सही मार्ग मिल गया। नहीं तो अपनी गलत साधना वश काल के मुख में चले जाते। उन्हीं भक्तों में से एक ने कहा कि मैं भी पहले उसी पंथ से नाम उपदेशी (नामदानी) था। यही पाँच नाम मैंने भी ले रखे थे परंतु वे पाँचों नाम काल साधना के हैं, सतपुरुष प्राप्ति के नहीं हैं। वे पा...