अंजली गाड़गिल नामक श्रीमति ने आध्यात्मिक अभ्यास करके अपनी दिव्य दृष्टि विकसित की। फिर उस दिव्य दृष्टि से सूक्ष्म जगत को देखा तथा ब्रह्माण्ड में चल रही गतिविधियों का वर्णन एक पुस्तक में लिखा। भविष्य में होने वाली घटनाओं का दावे के साथ वर्णन किया। पहले घट चुकी घटनाओं का विवरण तथा भविष्य और वर्तमान में होने वाली तथा आगे हो रही घटनाओं का भी वर्णन किया है। उसकी सत्यता को जाँचने के लिए एक परम पावन डॉक्टर अठावले ने अनुसंधान किया और भविष्यवाणी को सटीक बताया। इन्होनें ‘‘आध्यात्मिक विज्ञान रिसर्च फाउन्डेषन’’ संस्था भी बना रखी है। श्रीमति अंजली गाड़गिल ने दिव्य दृष्टि से देखा और बताया कि जिस समय ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति हुई, उसी समय से अच्छी और बुरी सूक्ष्म शक्तियों का अस्तित्व है जो चर्मदृष्टि से दिखाई नहीं देती। बुरी शक्तियाँ हैं : भूत, भैरव, बैताल, योगिन, 52 बीर जो काल ब्रह्म के उपद्रवी हैं। अच्छी शक्तियाँ हैं : देवतागण, पित्तर आदि-आदि। ये दोनों शक्तियाँ पूरी पृथ्वी के ऊपर अपना प्रभाव जमाए है। बुरी ताकतें उपद्रव करने के लिए मानव को प्रेरित करती हैं। ये एक नकारात्मक (बुरी) शक्ति है, वह राक्षसी राज्य की स्थापना करने का प्रयास करती है। जिस उद्देष्य से मानव को बुराई में धकेलती है। नषा करने, माँस खाने, वैष्या गमन करने, बलात्कार करने, चोरी करने, डाके मारने, दूसरे राजा का राज्य छीनने के लिए युद्ध करने, मान बड़ाई के लिए अहम की लड़ाई करने के लिए प्रेरित करती है। दूसरी ओर अच्छी ताकतें (सकारात्मक ताकतें) इसके विपरीत शांति स्थापित करने, बुराईयों से बचाने के लिए मानव को प्रभावित करती है। विषेष :- लेखक यहाँ पर स्पष्ट करना चाहता है कि बहन अंजली गाड़गिल ने अपनी पुस्तक में केवल अपने अनुभव के सत्य संकेत तो दिए हैं, परंतु इस रहस्य की गहराई तक नहीं पहुँच पाई। उसने जो देखा, वही लिख दिया। उस बहन के सांकेतिक उद्गार को विस्तार के साथ तथा रहस्यों का भेद गहराई तक खोलकर यह पुस्तक बना रहा है। भविष्यवाणी करने वाला केवल वही वर्णन करता है जो परमेष्वर ने पूर्व में होने वाले घटनाक्रम की फिल्म अर्थात् भविष्य की घटनाओं की जानकारी सूक्ष्म लिपि में लिखी होती है और चलचित्र की तरह भी विद्यमान है। जैसे ऊपर बताया है कि दो प्रकार की
शक्तियाँ (अच्छी-बुरी) पूरी पृथ्वी के मानव को प्रभावित करती है। उसी प्रकार से बुरी शक्तियों से प्रभावित व्यक्ति बुराई तथा अच्छी शक्तियों से प्रभावित व्यक्ति अच्छाई करते हैं। दोनों शक्तियों का परस्पर संघर्ष चलता रहता है। ऊपर के लोकों से भी अच्छी और बुरी शक्तियाँ पृथ्वी पर आकर अपने पक्ष वालों की सहायता करते हैं। दोनों में ही आध्यात्मिक ऊर्जा (शक्ति) होती है। वर्तमान में उन्हीं के आधार से कहीं शांति है तो कहीं मारकाट-हत्याएँ की जा रही हैं। वर्तमान समय में अच्छाई वाली ताकतें 70ः हैं तथा बुराई वाली ताकतें 30ः हैं। दोनों षक्तियों की लड़ाई ब्रह्माण्ड में तो चलती रहती हैं, पृथ्वी पर भी सक्रिय रहती है। प्राकृतिक आपदाऐं, आतंकवाद, राजनीतिक उथल-पुथल नकारात्मक अर्थात् बुरी ऊर्जा की देन है। पूरी दुनिया नकारात्मक तथा सकारात्मक षक्तियों की कठपुतली की तरह है। जो बुराई करते हैं, भूत, भैरव, बेतालों आदि के हाथां कार्य करते है और अच्छे व्यक्ति परमेष्वर की इच्छा के अनुसार काम करते हैं। जो अच्छे व्यक्ति हैं, उनकी आध्यात्मिक ऊर्जा कम होने के कारण वे भी नकारात्मक षक्तियों से प्रेरित होकर राजा तथा अज्ञानी का ही सहयोग देकर अच्छाई में बाधक बन रहे हैं। उदाहरण के लिए जो साधक षास्त्रविधि अनुसार साधना नहीं करते, वे आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त नहीं कर रहे हैं, वे केवल पूर्व जन्म की आध्यात्मि
क षक्ति को खर्च कर रहे हैं। जिस कारण से वे आध्यात्मिक षक्तिहीन होकर बुराई का सहयोग देने के लिए सूक्ष्म बुरी षक्तियों द्वारा विवष किये जाते हैं और वे जबरदस्ती बुराई में लगाए जाते हैे। वर्तमान में अच्छाई और बुराई की लड़ाई बहन श्रीमति अंजली गाड़गिल ने संकेत करके बताया है कि यह अच्छाई तथा बुराई की लड़ाई का षंखनाद वर्तमान में सन् 1973 से होगा। आसमान के ऊपर के लोक से आकर एक अच्छाई का कण (आत्मा) सत्य साधना करने की विधि अनुसार बताना प्रारम्भ करेगा। जिससे अच्छी आत्माऐं आध्यात्मिक षक्ति की वृद्धि करेगी और अच्छाई की स्थापना करने का प्रयास करेंगी। उनकी साधना में बुरी ताकतों से प्ररित होकर बुरे व्यक्ति बाधाऐं उत्पन्न करेंगे, षारीरिक लड़ाई तक भी करेंगे। सन् 1993 से षुरू होकर सन् 1999 में तो अच्छे व्यक्तियों की साधना और प्रचार परोक्ष रूप से चलेगा। विष्लेषण :- सन् 1993 में लेखक को गुरूदेव द्वारा सत्संग तथा पाठ करने का आदेष दिया। प्रचार व पाठ गाँव-गाँव व घर-घर में जाकर किया। फिर संगत (अनुयाईयों का समूह) अधिक हो जाने के कारण 20 अप्रेल 1999 में करौंथा गाँव में संगत द्वारा आश्रम के लिए जमीन ली और वह बंदी छोड़ भक्ति-मुक्ति ट्रस्ट के नाम रजिस्टर्ड़ करवाई। वहाँ बैठकर प्रचार किया। सन् 2003 में आस्था चैनल पर सत्य ज्ञान का प्रचार षुरू किया, नाम था, ‘‘परिभाषा प्रभु की’’ जिसे नकारात्मक षक्ति से
प्रभावित होकर अच्छी आत्माओं (अन्य संतों तथा उनके अनुयाईयों) ने विरोध करके कार्यक्रम बंद करा दिया। सन् 2004 में बडे़-बडे़ नगरों में विषाल सत्संग करके आत्मज्ञान का प्रचार किया। उसको भी अच्छी आत्माओं ने बुरी षक्तियों से प्रेरित होकर हरियाणा प्रान्त के षहर यमुनानगर में झगड़ा करके वो भी बंद करा दिया। लेखक तथा अनुयाई जान बचाकर भागे। उसके पष्चात् सतलोक आश्रम करौंथा में बैठकर समाचार पत्रों में लेख लिखकर प्रत्येक पूर्णमासी को आश्रम में सत्संग करके प्रचार षुरू किया, परंतु बुरी ताकतों ने आर्य समाज के आचार्यों को प्रेरित करके 12 जुलाई 2006 को सतलोक आश्रम करौंथा में चल रहे पूर्णमासी के सत्संग में आए भक्तों तथा लेखक को मारने के लिए लगभग 15 हजार व्यक्तियों से आक्रमण करवा दिया। तत्कालीन मुख्यमंत्री भी उसी समुदाय से संबंध रखता था। इस प्रकार राजा तथा अंधकार में फँसे व्यक्तियों द्वारा बुरी ताकतों ने अच्छे कार्य में बाधा डाली। 30 अप्रैल 2008 तक लेखक (रामपाल दास) तथा कुछ मेरे साथ झूठे मुकदमें में फँसाए अनुयाई जेल से जमानत पर बाहर आए। सन् 2009 में अप्रैल में बरवाला में नए आश्रम के लिए जमीन खरीदी और 2010 में सत्संग करना षुरू किया तथा सन् 2012 तक सर्व संतो के अज्ञान को ‘‘आध्यात्मिक ज्ञान चर्चा’’ नामक कार्यक्रम साधना टी.वी. पर चलाकर उजागर किया। जिस कारण से सन् 2013 तथा 18-11-2014 तक हमारे साथ जुड़ने के लिए प्रतिमाह 20 हजार से 25 हजार श्रद्धालु आने लगे। दिनाँक 18-11-2014 में कर्मचक्र चला। भ्रष्ट जजों ने मिलकर एक साजिष के तहत न्यायालय की अवमानना का झूठा मुकदमा नं. 12/2014 दिनाँक 22-07-2014 को बनाया और लेखक (रामपाल दास) को गिरफ्तार करने का आदेष दिनाँक 05-11-2014 को हाई कोर्ट चण्डीगढ़ के भ्रष्ट जजों ने कर दिया। अस्वस्थ होने के कारण लेखक न्यायालय में उपस्थित नहीं हो सका। जिस कारण से दिनाँक 18-11-2014 को सतलोक आश्रम बरवाला पर पुलिस तथा सेना ने आक्रमण कर दिया और आश्रम में तथा बाहर मुख्य गेट पर बैठकर बीमार गुरू को स्वस्थ होने तक कोर्ट में न जाने देने के लिए विरोध कर रहे श्रद्धालुओं को मुख्य द्वार से हटाने के लिये उन पर सर्दी में पानी की बौंछार करके आेँसू गैस के गोले सीमा से अधिक छोड़कर तथा लाठियाँ मारकर रास्ते से हटाने के लिए अत्याचार किया, जिस घटना में 6 अनुयाई मारे गए। प्रषासन ने संत रामपाल दास जी के अस्वस्थ होने की जाँच सरकारी डॉक्टरों के पैनल द्वारा भी करा ली और जाँच में वास्तव में अस्वस्थ पाए गए। वह रिपार्ट भी माननीय पंजाब तथा हरियाणा हाई कोर्ट में पेष की। संत रामपाल जी को दिनाँक 19-14-2014 तक बैड रैस्ट बताया था और टी.वी. देखना, समाचार पत्र पढ़ना भी मना कर दिया था। फिर दिनाँक 19-12-2014 को स्वयं पुलिस के हवाले हो गए। फिर भी देषद्रोही ाक मुकदमा लेखकर पर बनाया और मृतकों का भी दोष
लेखक को बनाया। 302 के दो मुकदमें बना दिये और जेल में डाल दिया। यह सब बुरी शक्तियों के प्रभाव का परिणाम है। अब बहन श्रीमति अंजली गाड़गिल द्वारा दिए भविष्य में होने वाली घटनाओं के संकेतों का वर्णन करता हूँ। बहन ने लिखा है कि यह अच्छाई और बुराई की लड़ाई ऐसे चलेगी। घटनाक्रमों का समय भी लिखा है। सन् 1993 मे :- अधर्म की गिरावट का बीज बोना शुरू कर दिया। भावार्थ है कि शास्त्रानुकूल साधना कराकर पहले तो साधक को भौतिक सुख मिलता है। फिर उसे ज्ञान होता है कि भौतिक धन की आवष्यकता है, फिर वह भौतिकवाद में कमी लाता है तथा आध्यात्म में वृद्धि करता है, परंतु इसष्शुभ कार्य में बाधा उच्च स्तर की बुरी शक्ति यानि काल ब्रह्म द्वारा सहायता करके कराई जाती है। समय के अनुसार समाज में बुराई घर कर लेती हैं और सड़ांध में अर्थात् बुराई में वृद्धि होती है। मानव जाति में आध्यात्मिकता फिर से जगाने का कार्य ओर अच्छे युग की स्थापना के लिये भी प्रयत्न इस लड़ाई में किया जाता रहेगा। सन् 1993 में ही अच्छाई और बुराई की लड़ाई में आगे के लिए एक धार्मिक गुरू के द्वारा प्रचार श्ुरू होगा जिसकी आध्यात्मिक शक्ति 96ः विकसित हो चुकी है। वह पृथ्वी पर प्रकट अच्छी आत्माओं का नेतृत्व कर रहा है। यह सब परमेष्वर की इच्छा से हो रहा है। सन् 2003 में आध्यात्मिकता का अधिक विकास हुआ। सन् 2004 में ऊपर के लोक से सकारात्मक ऊर्जा के कुछ प्राणी आकर शामिल हो गए और आध्यात्म की वृद्धि हुई। वे पीले कण थे, जो ऊपर (सत्लोक) से कण (आत्मा) आए हैं, वे स्वर्ग वाले बलों से अधिक बलवान हे। सन् 2008 में नकारात्मक शक्ति अपर्याप्त सिद्ध हुई क्योंकि सकारात्मक शक्ति वाले भक्तों की विजय हुई। (अप्रैल 2008 में जमानत मिली थी)। सन् 2009 से 2013 तक सकारात्मक ऊर्जा के सहयोग से आध्यात्मिक वृद्धि चर्म सीमा पर पहुँची। आध्यात्मिक वृद्धि जारी रही, परन्तु सन् 2009 में ब्रह्माण्ड के उच्च क्षेत्र से आध्यात्मिक विकसित प्राणी लड़ाई में शामिल हो गए। सन् 2013 में 1/3 (एक तिहाई) भाग विकसित किया जा रहा था। इस दौरान इस लड़ाई में भागीदारी के लिए अन्य आध्यात्मिक विकसित प्राणी शामिल हो गए। इस दिव्य सहायता से दिनांदिन अधिक सूक्ष्म और शक्तिषाली हो रही थी।
मतलब है कि सन् 2013 में शानदार आध्यात्मिक प्रगति दैवी कणांं यानी दैवी आत्माओं के सहयोग से हुई थी। सन् 2014 से 2018 तक :- सन् 2014 में नकारात्मक शक्तियाँ उग्र रूप से लड़ेंगी और सकारात्मक शक्ति से प्रेरित साधक अपनी आध्यात्मिक शक्ति की वृद्धि करने में लगे होंगे और उनकी आध्यात्मिक क्षमता नकारात्मक शक्ति का सामना करने में सक्षम नहीं होगी। यह सब कार्य परमेष्वर के द्वारा किया जाएगा। नकारात्मक शक्ति से प्रेरितों को साथ लड़ने के लिए फिर से आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त करेंगे। सन् 2014 में अगले उच्च क्षेत्र यानि सत्लोक से 2 और प्राणी लड़ाई में शामिल हो जायेंगे। उनकी भागीदारी 2018 तक रहेगी। सन् 2017 से 2019 तक आध्यात्मिक सफलता 48 से शुरू होकर 70ः तक हो जायेगी। सन् 2017 मे 10 तथा सन् 2019 में 25 नए प्राणी शामिल होंगे। सन् 2019 के पष्चात् विनाषकारी काम करने वाली नकारात्मक बुरी ताकतों के खिलाफ आध्यात्मिकता को फिर से जगाने अर्थात् बढ़ाने के लिए तथा सत्युग की स्थापना के लिए तीव्रता आयेगी। सन् 2021 में मानव जाति में फिर से आध्यात्मिक जागृति आएगी और नए दैवी राज्य यानि राम-राज्य की सथापना का कार्य शुरू हो जाएगा। सन् 2023 में सत्लोक से 14 मुख्य कणों यानि आत्माओं का आगमन होगा जो सूक्ष्म क्षेत्रों की सूक्ष्म तथा शुद्धतम आत्माऐं होंगी जो सकारात्मक काम में आदर करेंगी और दैवी राज्य (सत्युग) की स्थापना में सहयोग करेंगे तथा सन् 2024 के बाद ऊपर की भागीदारी रोक दी जाएगी और पृथ्वी पर भक्तियुक्त प्राणियों की वृद्धि हो जाएगी और सकारात्मक श्क्ति से आध्यात्मिक गतिविधि निर्बाध चलेगी। उसी भविष्यवाणी करने वाली बहन श्रीमति अंजली गाड़गिल ने अन्य स्थान पर इस प्रकार लिखा है :- पृष्ठ 5 पर :- 6‐ = तीसरे विष्वयुद्ध के मुख्य चरणों की लड़ाई का वर्णन :- तीसरे विष्वयुद्ध में मुख्य चरणों में सूक्ष्म लड़ाई सन् 1999 से 2012
इस समय के दौरान नकारात्मक ऊर्जा से लड़ाई की सकल 2013 से 2015 में आध्यात्मिक अभ्यास करने वालों को रोकने के लिए बाधा पैदा करना है। जिस कारण से राष्ट्रीय स्तर पर अच्छी व्यवस्था के विरूद्ध झगड़ा किया जाएगा। हालांकि इसके पीछे सूक्ष्म दुनिया से उच्च स्तर की नकारात्मक ऊर्जा का हाथ है। प्राकृतिक आपदा होंगी। भौतिक दायरे में लड़ाई :- 2016-2018 में बुराई करने वालों का असामाजिक तत्वों के साथ युद्ध आरम्भ होगा। बुराईकर्ता असामाजिक तत्वों का अंत और दैवी साम्राज्य की स्थापना :- सन् 2019 से 2022 में आतंकवाद समाप्त हो जाएगा तथा एक संत के निर्देष में आध्यात्मिक सरकार बनेगी। उसी पुस्तक में लिखा है कि सन् 2006 में पूजा के स्थानों का विनाष हो जाएगा। सन् 2011 से सन् 2014 में :- भूत (बुरी ताकतों) से प्रेरित होकर आध्यात्मिक संगठनों को नष्ट करेंगे तथा धार्मिक स्थल प्राकतिक आपदा से। सन् 2018 में अमेरीका, चीन तथा जापान का युद्ध होगा जिसमें अभूवतपूर्व जीवन हानि होगी अर्थात् बहुत जनता मारी जाएगी। सन् 2019 में उनके बचाव के लिए संतों तथा नेताओं को योगदार परन्तु व्यर्थ साबित होगा जो मानवता के लिए हानिकारक होगा। सन् 2020 में वातावरण में विनाषकारी प्रक्रिया और दिव्य चेतना के कणों की हानि होगी। सन् 2021 में मानव जाति को आध्यात्मिक मार्ग पर लगाने के लिए जगाने का प्रयास तथा आध्यात्मिक युग की स्थापना की जाएगी।
सन् 2013 में राम राज्य की स्थापना एवं कलयुग में सत्युग की शुरूआत होगी। 6.1 का विवरण :- उसी पुस्तक में लिखा है कि तीसरा विष्वयुद्ध सन् 2015 से प्रारम्भ होगा जो सन् 2023 तक चलेगा। इसमें 1/3 जनसंख्या नष्ट जो जाएगी तथा 1/3 जनसंख्या पीडि़त होगी जिनके कारोबार नष्ट जो जाएेंगे, कुछ लोगों को परिजनों के मरने से कष्टों का सामना करना पड़ेगा। तीसरे विष्सयुद्ध को कराने के लिए बुरी आत्माऐं 7वें तथा चौथें नरक से आऐंगी। तीसरे विष्वयुद्ध का समय :- सन् 2015 से शुरू होगा। सन् 2016 से 2018 तक बुरी ताकतों का उत्थान होगा। सन् 2019 से 2021 तक अच्छे-बुरे व्यक्तियों में समान ताकत होंगी। होगी। विचार से) सन् 2022-2023 में अच्छी ताकतों के तहत धर्म के लोगों की जीत सन् 2023 में ही आगे राम राज्य की स्थापना की जाएगी। (डॉ. अठावले के तीसरे विष्वयुद्ध में भारत की भूमिका :- 6.2 = बुरी ताकतें भारत को युद्ध करने के लिए भड़काऐंगी और पड़ौसी राज्यों से युद्ध होगा जिसमें भारत की 50ः आबादी नष्ट हो जाएगी। ‘‘इस विनाष से बचा जा सकता है।’’ यदि व्यक्ति धार्मिकता तथा ईमानदारी को बढ़ावा देकर तबाही से बचा सकते हैं।
एक संत की विचारधारा उभरेंगी। मानव समाज एक हजार वर्ष पीछे जाएगा। तब सत्युग जैसा वातावरण होगा। इस युग में देवताओं का साम्राज्य होगा। यह सत्युग के समान होगा। यह परमेष्वर द्वारा मानव जाति के लिए आध्यात्मिक नवीनीकरण करने के लिए होगा। लोगों के जीने का उद्देष्य भगवान की भक्ति ही रह जाएगा। उस दौरान धन वद्धि को विकास नहीं माना जाएगा। धन के विषय में मानव की विचारधारा बदल जाएगी और मोक्ष उद्देष्य शेष रह जाएगा। एक संत के नेतृत्व में सरकार बनेगी और सर्व राजकाज धर्म के तरीके यानि धार्मिकता को लेकर किया जाएगा। चुनाव कराने की आवष्यकता नहीं रहेगी। सर्व नेताओं का कार्य पारदर्षी होगा। साम्यवाद, तानाषाही का स्थान नहीं होगा। सभी देषों के मध्य एकता हो जाएगी। दुनिया में आपसी भाईचारा कायम होगा। सर्व मानवों को मानवता का पाठ पढ़ाया जाएगा। षिक्षा में आध्यात्मिक विज्ञान विषय अहम माना जाएगा। प्रत्येक समस्या का समाधान आध्यात्मिकता से किया जाएगा। प्रत्येक व्यक्ति को अहसास होगा कि पार्टियाँ करना, टेलीविजन देखना आदि बकवास है। जो व्यक्ति भक्ति नहीं करेंगे और अन्य विकार करेंगे तो उनको मूर्ख और पृथ्वी के ऊपर व्यर्थ बोझ माना जाएगा। न्यायप्रणाली और न्यायिक प्रक्रिया में नाटकीय रूप से परिवर्तन हो जाएगा। न्यायाधीषों में आध्यात्मिकता का विकास किया जाएगा और वकीलों की आवष्यकता नहीं रहेगी। न्यायाधीषों की संख्या अधिक की जाएगी। आध्यात्मिक न्यायाधीष तुरन्त सत्य तथा झूठ का निर्णय करने में सक्षम होगा। सहज ज्ञान युक्त के कारण निर्णय सही होगा। वर्तमान के वकालत केवल निर्वाह तथा मान बढ़ाने के उद्देष्य के किया जाता रहा है, परन्तु सत्युग वाले राम-राज्य में परमार्थ ही रह जाएगा। हम आध्यात्मिकता से विष्व के तीसरे विष्वयुद्ध को कम कर सकते हैं। विषेष :- सन् 2016 से सन् 2018 के बीच धार्मिक व्यक्तियों की जीत होगी। उसके पीछे अच्छी ऊर्जा का हाथ होगा। सन् 2019 से 2021 तक समान चलेगी। सन् 2022-2023 में धर्म के लोगों की जीत और 2023 में ही राम-राज्य की स्थापना होगी
। सत साहेब
शक्तियाँ (अच्छी-बुरी) पूरी पृथ्वी के मानव को प्रभावित करती है। उसी प्रकार से बुरी शक्तियों से प्रभावित व्यक्ति बुराई तथा अच्छी शक्तियों से प्रभावित व्यक्ति अच्छाई करते हैं। दोनों शक्तियों का परस्पर संघर्ष चलता रहता है। ऊपर के लोकों से भी अच्छी और बुरी शक्तियाँ पृथ्वी पर आकर अपने पक्ष वालों की सहायता करते हैं। दोनों में ही आध्यात्मिक ऊर्जा (शक्ति) होती है। वर्तमान में उन्हीं के आधार से कहीं शांति है तो कहीं मारकाट-हत्याएँ की जा रही हैं। वर्तमान समय में अच्छाई वाली ताकतें 70ः हैं तथा बुराई वाली ताकतें 30ः हैं। दोनों षक्तियों की लड़ाई ब्रह्माण्ड में तो चलती रहती हैं, पृथ्वी पर भी सक्रिय रहती है। प्राकृतिक आपदाऐं, आतंकवाद, राजनीतिक उथल-पुथल नकारात्मक अर्थात् बुरी ऊर्जा की देन है। पूरी दुनिया नकारात्मक तथा सकारात्मक षक्तियों की कठपुतली की तरह है। जो बुराई करते हैं, भूत, भैरव, बेतालों आदि के हाथां कार्य करते है और अच्छे व्यक्ति परमेष्वर की इच्छा के अनुसार काम करते हैं। जो अच्छे व्यक्ति हैं, उनकी आध्यात्मिक ऊर्जा कम होने के कारण वे भी नकारात्मक षक्तियों से प्रेरित होकर राजा तथा अज्ञानी का ही सहयोग देकर अच्छाई में बाधक बन रहे हैं। उदाहरण के लिए जो साधक षास्त्रविधि अनुसार साधना नहीं करते, वे आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त नहीं कर रहे हैं, वे केवल पूर्व जन्म की आध्यात्मि
प्रभावित होकर अच्छी आत्माओं (अन्य संतों तथा उनके अनुयाईयों) ने विरोध करके कार्यक्रम बंद करा दिया। सन् 2004 में बडे़-बडे़ नगरों में विषाल सत्संग करके आत्मज्ञान का प्रचार किया। उसको भी अच्छी आत्माओं ने बुरी षक्तियों से प्रेरित होकर हरियाणा प्रान्त के षहर यमुनानगर में झगड़ा करके वो भी बंद करा दिया। लेखक तथा अनुयाई जान बचाकर भागे। उसके पष्चात् सतलोक आश्रम करौंथा में बैठकर समाचार पत्रों में लेख लिखकर प्रत्येक पूर्णमासी को आश्रम में सत्संग करके प्रचार षुरू किया, परंतु बुरी ताकतों ने आर्य समाज के आचार्यों को प्रेरित करके 12 जुलाई 2006 को सतलोक आश्रम करौंथा में चल रहे पूर्णमासी के सत्संग में आए भक्तों तथा लेखक को मारने के लिए लगभग 15 हजार व्यक्तियों से आक्रमण करवा दिया। तत्कालीन मुख्यमंत्री भी उसी समुदाय से संबंध रखता था। इस प्रकार राजा तथा अंधकार में फँसे व्यक्तियों द्वारा बुरी ताकतों ने अच्छे कार्य में बाधा डाली। 30 अप्रैल 2008 तक लेखक (रामपाल दास) तथा कुछ मेरे साथ झूठे मुकदमें में फँसाए अनुयाई जेल से जमानत पर बाहर आए। सन् 2009 में अप्रैल में बरवाला में नए आश्रम के लिए जमीन खरीदी और 2010 में सत्संग करना षुरू किया तथा सन् 2012 तक सर्व संतो के अज्ञान को ‘‘आध्यात्मिक ज्ञान चर्चा’’ नामक कार्यक्रम साधना टी.वी. पर चलाकर उजागर किया। जिस कारण से सन् 2013 तथा 18-11-2014 तक हमारे साथ जुड़ने के लिए प्रतिमाह 20 हजार से 25 हजार श्रद्धालु आने लगे। दिनाँक 18-11-2014 में कर्मचक्र चला। भ्रष्ट जजों ने मिलकर एक साजिष के तहत न्यायालय की अवमानना का झूठा मुकदमा नं. 12/2014 दिनाँक 22-07-2014 को बनाया और लेखक (रामपाल दास) को गिरफ्तार करने का आदेष दिनाँक 05-11-2014 को हाई कोर्ट चण्डीगढ़ के भ्रष्ट जजों ने कर दिया। अस्वस्थ होने के कारण लेखक न्यायालय में उपस्थित नहीं हो सका। जिस कारण से दिनाँक 18-11-2014 को सतलोक आश्रम बरवाला पर पुलिस तथा सेना ने आक्रमण कर दिया और आश्रम में तथा बाहर मुख्य गेट पर बैठकर बीमार गुरू को स्वस्थ होने तक कोर्ट में न जाने देने के लिए विरोध कर रहे श्रद्धालुओं को मुख्य द्वार से हटाने के लिये उन पर सर्दी में पानी की बौंछार करके आेँसू गैस के गोले सीमा से अधिक छोड़कर तथा लाठियाँ मारकर रास्ते से हटाने के लिए अत्याचार किया, जिस घटना में 6 अनुयाई मारे गए। प्रषासन ने संत रामपाल दास जी के अस्वस्थ होने की जाँच सरकारी डॉक्टरों के पैनल द्वारा भी करा ली और जाँच में वास्तव में अस्वस्थ पाए गए। वह रिपार्ट भी माननीय पंजाब तथा हरियाणा हाई कोर्ट में पेष की। संत रामपाल जी को दिनाँक 19-14-2014 तक बैड रैस्ट बताया था और टी.वी. देखना, समाचार पत्र पढ़ना भी मना कर दिया था। फिर दिनाँक 19-12-2014 को स्वयं पुलिस के हवाले हो गए। फिर भी देषद्रोही ाक मुकदमा लेखकर पर बनाया और मृतकों का भी दोष
लेखक को बनाया। 302 के दो मुकदमें बना दिये और जेल में डाल दिया। यह सब बुरी शक्तियों के प्रभाव का परिणाम है। अब बहन श्रीमति अंजली गाड़गिल द्वारा दिए भविष्य में होने वाली घटनाओं के संकेतों का वर्णन करता हूँ। बहन ने लिखा है कि यह अच्छाई और बुराई की लड़ाई ऐसे चलेगी। घटनाक्रमों का समय भी लिखा है। सन् 1993 मे :- अधर्म की गिरावट का बीज बोना शुरू कर दिया। भावार्थ है कि शास्त्रानुकूल साधना कराकर पहले तो साधक को भौतिक सुख मिलता है। फिर उसे ज्ञान होता है कि भौतिक धन की आवष्यकता है, फिर वह भौतिकवाद में कमी लाता है तथा आध्यात्म में वृद्धि करता है, परंतु इसष्शुभ कार्य में बाधा उच्च स्तर की बुरी शक्ति यानि काल ब्रह्म द्वारा सहायता करके कराई जाती है। समय के अनुसार समाज में बुराई घर कर लेती हैं और सड़ांध में अर्थात् बुराई में वृद्धि होती है। मानव जाति में आध्यात्मिकता फिर से जगाने का कार्य ओर अच्छे युग की स्थापना के लिये भी प्रयत्न इस लड़ाई में किया जाता रहेगा। सन् 1993 में ही अच्छाई और बुराई की लड़ाई में आगे के लिए एक धार्मिक गुरू के द्वारा प्रचार श्ुरू होगा जिसकी आध्यात्मिक शक्ति 96ः विकसित हो चुकी है। वह पृथ्वी पर प्रकट अच्छी आत्माओं का नेतृत्व कर रहा है। यह सब परमेष्वर की इच्छा से हो रहा है। सन् 2003 में आध्यात्मिकता का अधिक विकास हुआ। सन् 2004 में ऊपर के लोक से सकारात्मक ऊर्जा के कुछ प्राणी आकर शामिल हो गए और आध्यात्म की वृद्धि हुई। वे पीले कण थे, जो ऊपर (सत्लोक) से कण (आत्मा) आए हैं, वे स्वर्ग वाले बलों से अधिक बलवान हे। सन् 2008 में नकारात्मक शक्ति अपर्याप्त सिद्ध हुई क्योंकि सकारात्मक शक्ति वाले भक्तों की विजय हुई। (अप्रैल 2008 में जमानत मिली थी)। सन् 2009 से 2013 तक सकारात्मक ऊर्जा के सहयोग से आध्यात्मिक वृद्धि चर्म सीमा पर पहुँची। आध्यात्मिक वृद्धि जारी रही, परन्तु सन् 2009 में ब्रह्माण्ड के उच्च क्षेत्र से आध्यात्मिक विकसित प्राणी लड़ाई में शामिल हो गए। सन् 2013 में 1/3 (एक तिहाई) भाग विकसित किया जा रहा था। इस दौरान इस लड़ाई में भागीदारी के लिए अन्य आध्यात्मिक विकसित प्राणी शामिल हो गए। इस दिव्य सहायता से दिनांदिन अधिक सूक्ष्म और शक्तिषाली हो रही थी।
मतलब है कि सन् 2013 में शानदार आध्यात्मिक प्रगति दैवी कणांं यानी दैवी आत्माओं के सहयोग से हुई थी। सन् 2014 से 2018 तक :- सन् 2014 में नकारात्मक शक्तियाँ उग्र रूप से लड़ेंगी और सकारात्मक शक्ति से प्रेरित साधक अपनी आध्यात्मिक शक्ति की वृद्धि करने में लगे होंगे और उनकी आध्यात्मिक क्षमता नकारात्मक शक्ति का सामना करने में सक्षम नहीं होगी। यह सब कार्य परमेष्वर के द्वारा किया जाएगा। नकारात्मक शक्ति से प्रेरितों को साथ लड़ने के लिए फिर से आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त करेंगे। सन् 2014 में अगले उच्च क्षेत्र यानि सत्लोक से 2 और प्राणी लड़ाई में शामिल हो जायेंगे। उनकी भागीदारी 2018 तक रहेगी। सन् 2017 से 2019 तक आध्यात्मिक सफलता 48 से शुरू होकर 70ः तक हो जायेगी। सन् 2017 मे 10 तथा सन् 2019 में 25 नए प्राणी शामिल होंगे। सन् 2019 के पष्चात् विनाषकारी काम करने वाली नकारात्मक बुरी ताकतों के खिलाफ आध्यात्मिकता को फिर से जगाने अर्थात् बढ़ाने के लिए तथा सत्युग की स्थापना के लिए तीव्रता आयेगी। सन् 2021 में मानव जाति में फिर से आध्यात्मिक जागृति आएगी और नए दैवी राज्य यानि राम-राज्य की सथापना का कार्य शुरू हो जाएगा। सन् 2023 में सत्लोक से 14 मुख्य कणों यानि आत्माओं का आगमन होगा जो सूक्ष्म क्षेत्रों की सूक्ष्म तथा शुद्धतम आत्माऐं होंगी जो सकारात्मक काम में आदर करेंगी और दैवी राज्य (सत्युग) की स्थापना में सहयोग करेंगे तथा सन् 2024 के बाद ऊपर की भागीदारी रोक दी जाएगी और पृथ्वी पर भक्तियुक्त प्राणियों की वृद्धि हो जाएगी और सकारात्मक श्क्ति से आध्यात्मिक गतिविधि निर्बाध चलेगी। उसी भविष्यवाणी करने वाली बहन श्रीमति अंजली गाड़गिल ने अन्य स्थान पर इस प्रकार लिखा है :- पृष्ठ 5 पर :- 6‐ = तीसरे विष्वयुद्ध के मुख्य चरणों की लड़ाई का वर्णन :- तीसरे विष्वयुद्ध में मुख्य चरणों में सूक्ष्म लड़ाई सन् 1999 से 2012
इस समय के दौरान नकारात्मक ऊर्जा से लड़ाई की सकल 2013 से 2015 में आध्यात्मिक अभ्यास करने वालों को रोकने के लिए बाधा पैदा करना है। जिस कारण से राष्ट्रीय स्तर पर अच्छी व्यवस्था के विरूद्ध झगड़ा किया जाएगा। हालांकि इसके पीछे सूक्ष्म दुनिया से उच्च स्तर की नकारात्मक ऊर्जा का हाथ है। प्राकृतिक आपदा होंगी। भौतिक दायरे में लड़ाई :- 2016-2018 में बुराई करने वालों का असामाजिक तत्वों के साथ युद्ध आरम्भ होगा। बुराईकर्ता असामाजिक तत्वों का अंत और दैवी साम्राज्य की स्थापना :- सन् 2019 से 2022 में आतंकवाद समाप्त हो जाएगा तथा एक संत के निर्देष में आध्यात्मिक सरकार बनेगी। उसी पुस्तक में लिखा है कि सन् 2006 में पूजा के स्थानों का विनाष हो जाएगा। सन् 2011 से सन् 2014 में :- भूत (बुरी ताकतों) से प्रेरित होकर आध्यात्मिक संगठनों को नष्ट करेंगे तथा धार्मिक स्थल प्राकतिक आपदा से। सन् 2018 में अमेरीका, चीन तथा जापान का युद्ध होगा जिसमें अभूवतपूर्व जीवन हानि होगी अर्थात् बहुत जनता मारी जाएगी। सन् 2019 में उनके बचाव के लिए संतों तथा नेताओं को योगदार परन्तु व्यर्थ साबित होगा जो मानवता के लिए हानिकारक होगा। सन् 2020 में वातावरण में विनाषकारी प्रक्रिया और दिव्य चेतना के कणों की हानि होगी। सन् 2021 में मानव जाति को आध्यात्मिक मार्ग पर लगाने के लिए जगाने का प्रयास तथा आध्यात्मिक युग की स्थापना की जाएगी।
सन् 2013 में राम राज्य की स्थापना एवं कलयुग में सत्युग की शुरूआत होगी। 6.1 का विवरण :- उसी पुस्तक में लिखा है कि तीसरा विष्वयुद्ध सन् 2015 से प्रारम्भ होगा जो सन् 2023 तक चलेगा। इसमें 1/3 जनसंख्या नष्ट जो जाएगी तथा 1/3 जनसंख्या पीडि़त होगी जिनके कारोबार नष्ट जो जाएेंगे, कुछ लोगों को परिजनों के मरने से कष्टों का सामना करना पड़ेगा। तीसरे विष्सयुद्ध को कराने के लिए बुरी आत्माऐं 7वें तथा चौथें नरक से आऐंगी। तीसरे विष्वयुद्ध का समय :- सन् 2015 से शुरू होगा। सन् 2016 से 2018 तक बुरी ताकतों का उत्थान होगा। सन् 2019 से 2021 तक अच्छे-बुरे व्यक्तियों में समान ताकत होंगी। होगी। विचार से) सन् 2022-2023 में अच्छी ताकतों के तहत धर्म के लोगों की जीत सन् 2023 में ही आगे राम राज्य की स्थापना की जाएगी। (डॉ. अठावले के तीसरे विष्वयुद्ध में भारत की भूमिका :- 6.2 = बुरी ताकतें भारत को युद्ध करने के लिए भड़काऐंगी और पड़ौसी राज्यों से युद्ध होगा जिसमें भारत की 50ः आबादी नष्ट हो जाएगी। ‘‘इस विनाष से बचा जा सकता है।’’ यदि व्यक्ति धार्मिकता तथा ईमानदारी को बढ़ावा देकर तबाही से बचा सकते हैं।
एक संत की विचारधारा उभरेंगी। मानव समाज एक हजार वर्ष पीछे जाएगा। तब सत्युग जैसा वातावरण होगा। इस युग में देवताओं का साम्राज्य होगा। यह सत्युग के समान होगा। यह परमेष्वर द्वारा मानव जाति के लिए आध्यात्मिक नवीनीकरण करने के लिए होगा। लोगों के जीने का उद्देष्य भगवान की भक्ति ही रह जाएगा। उस दौरान धन वद्धि को विकास नहीं माना जाएगा। धन के विषय में मानव की विचारधारा बदल जाएगी और मोक्ष उद्देष्य शेष रह जाएगा। एक संत के नेतृत्व में सरकार बनेगी और सर्व राजकाज धर्म के तरीके यानि धार्मिकता को लेकर किया जाएगा। चुनाव कराने की आवष्यकता नहीं रहेगी। सर्व नेताओं का कार्य पारदर्षी होगा। साम्यवाद, तानाषाही का स्थान नहीं होगा। सभी देषों के मध्य एकता हो जाएगी। दुनिया में आपसी भाईचारा कायम होगा। सर्व मानवों को मानवता का पाठ पढ़ाया जाएगा। षिक्षा में आध्यात्मिक विज्ञान विषय अहम माना जाएगा। प्रत्येक समस्या का समाधान आध्यात्मिकता से किया जाएगा। प्रत्येक व्यक्ति को अहसास होगा कि पार्टियाँ करना, टेलीविजन देखना आदि बकवास है। जो व्यक्ति भक्ति नहीं करेंगे और अन्य विकार करेंगे तो उनको मूर्ख और पृथ्वी के ऊपर व्यर्थ बोझ माना जाएगा। न्यायप्रणाली और न्यायिक प्रक्रिया में नाटकीय रूप से परिवर्तन हो जाएगा। न्यायाधीषों में आध्यात्मिकता का विकास किया जाएगा और वकीलों की आवष्यकता नहीं रहेगी। न्यायाधीषों की संख्या अधिक की जाएगी। आध्यात्मिक न्यायाधीष तुरन्त सत्य तथा झूठ का निर्णय करने में सक्षम होगा। सहज ज्ञान युक्त के कारण निर्णय सही होगा। वर्तमान के वकालत केवल निर्वाह तथा मान बढ़ाने के उद्देष्य के किया जाता रहा है, परन्तु सत्युग वाले राम-राज्य में परमार्थ ही रह जाएगा। हम आध्यात्मिकता से विष्व के तीसरे विष्वयुद्ध को कम कर सकते हैं। विषेष :- सन् 2016 से सन् 2018 के बीच धार्मिक व्यक्तियों की जीत होगी। उसके पीछे अच्छी ऊर्जा का हाथ होगा। सन् 2019 से 2021 तक समान चलेगी। सन् 2022-2023 में धर्म के लोगों की जीत और 2023 में ही राम-राज्य की स्थापना होगी
। सत साहेब
बहुत बढ़िया लिखा है
ReplyDelete👌👌
ReplyDelete👍👍
ReplyDelete👍👍
Delete