गुरुदेव सत्संग मे बताते हैं कि पहले एक अनल नाम का पक्षी होता था जो अब लुप्त हो चुका है वो पक्षी आकाश मे बहुत उपर उड़ता रहता था वो आकाश मे अपना अंडा ऐसी जगह देता था जहा नीचे केले का बाग होता था अंडा आकाश से सीधा केले के पोधो पर गिरता था ओर फुट जाता था लेकिन अंडा केले के पोधो पर गिरने के कारण बच्चे को कोई हानि नहीं होती थी अब अनल पक्षी का बच्चा ओर पक्षियों के साथ पृथ्वी पर रह कर अपना भरण पोषण करता है लेकिन उसका ध्यान आकाश मे अपने माता पिता मे रहता है उसे मालूम होता है कि यहा तेरा घर तेरे मा बाप नहीं है तेरे माता पिता तो आकाश मे है इसलिए वह अनल पक्षी का बच्चा एक पल भी अपने माता पिता को नहीं भूलता ओर जब वह बड़ा हो जाता है यानी उड़ने लायक हो जाता है तो वह इतना ताकतवर होता है कि अपने पंजों से हाथियों के झुंड से चार हाथियों को अपने माता पिता के आहार के लिए उठा कर अपने माता पिता के पास उपर आकाश मे चला जाता है इसीलिए गरीब दास जी कहते हैं कि
अलल पंख अनुराग है सुन मंडल रहे थिर l
दास गरीब उधारीया सतगुरु मिले कबीर ll
दास गरीब उधारीया सतगुरु मिले कबीर ll
जिस प्रकार अनल पक्षी पृथ्वी पर रहते हुए भी एक पल भी अपने माता पिता को नहीं भूलता उसका ध्यान हर समय अपने माता पिता में ही लगा रहता है इसी प्रकार इस पृथ्वी पर एकमात्र पूर्ण संत रामपाल जी महाराज से नाम उपदेश लेकर जिस भक्त का ध्यान हर पल सतलोक मे पूर्ण ब्रह्म कबीर मे लगा रहता है उसका मोक्ष निश्चिंत है यानी पक्का है ऐसे भक्त को एक दिन कबीर परमात्मा अवश्यक मिलते हैं
adbhut katha ye to pahle kisi sant ne nahi batai ji
ReplyDeleteYe real gyan h
DeleteNice explain
ReplyDelete